१.
गजानन गौरी सूत । लाल अंगपर बभूत । तेरे मुख बचनामृत । उसे जमदूत भागत है ॥१॥
विद्यामरी दुंदुल पेट । उसपर सापकी लपेट । विघन करत है चपेट । पकड फे कालकी ॥२॥
नामा दर्जी जालम । विठू राजाका गुलाम । हुवा दुनियामें बदलाम । उने नाम दुबाया ॥३॥
नामा प्यारा है मनत । उसे जानत है जगत । बम्मन आया धुंडत धुंडत । लगत लगत यांबमो ॥४॥
बम्मन कहे नामदेव । मुजे पूजना भूदेव । इति बात मुजे देव । वहा देव गंगामो ॥५॥
मानो बिनंती महाराज । चलो पतीतनके काज । नामा कहे बम्मनराज । न बाजे इत बातनसो ॥६॥
नामा नहीं माने बात । बम्मन बैठा दिनरात । हुकुम दिया दिनानाथ । तंब संग चलदिया ॥७॥
चले मजल दरमजल । आया बेदरके मिसल ह्य हुई सो नक्कल. । वो सकल तुम् सुनो ॥८॥
कोस आदे कोसपर । नामदेव का लष्कर । बादशहा बैठा निकलकर । नजरकर देखते ॥९॥
कहे कासीपंडत । लाल झेंडे बहूत । पायदल जावे तहत । क्या सरयत खबर लाव ॥१०॥
करी कुरान सो सलाम । भेजो फौज ओतमाम । कोन क्या करेगा काम । तुम बेफाम मत रहो ॥११॥
आयी फौज किया कोट । जैसा खेतका सगोट । कहे कहांके तुम् भट । थाट वाध जाहो ॥१२॥
नामा कहे सुनो भाई । येतो बम्मन गदाई । नामदेव कोन है । बेदरशाही जानते ॥१३॥
उसे कहे नामदेव । राहा छोडो जाने देव । कहे हुकुम आने देव । फेर देव जाने कू ॥१४॥
अजीं लीखी फौजदार । ले पोंचे जिलिबदार । जाके देव दरबार चेपदार के कहिने ॥१५॥
कासीपंडतके पास । आव पोहोंची इतल्लास । नजर गुजराई ख्यास । करे ख्यास पूछ के ॥१६॥
पंडत कर जिकीर । सुनो हिंदू फकीर । हम् लोकन के पीर । पंढरपूर में रहते है ॥१७॥
बादशहा करे गल्लत । होते पीर आजमत । बुला लाव इसवख्त् । करामत देखणें ॥१८॥
पंडत करे तसलीमात । हजरत भली नहीं बात । नामदेव कहे मात । किसननाथ कन्हैया ॥१९॥
उसका नाम मत लेव । उसकी रहा मत् जाव । मेरा कहना सातर लाव । नहीं तो नांव डुबेगी ॥२०॥
उसे करो ये बदफैल । बुरी होयेगी नक्कल । अब् जावेमी अक्कल । सकल राज डुबेगा ॥२१॥
हत्ती घोडे दौलत । दख्खन मुलूख बाछायत । बेदर सरीखा तखल । इस वक्त जायेगा ॥२२॥
बादशहा करे गल्लत । सरक चल मादर वरूत । पंडत करे आयी मोत । गई कुवत अक्कलकी ॥२३॥
कुटल सामने सेटल । जा दूर हो निकल । भेजो दसबीस मोंगल । बम्मन सकल फकड लाव ॥२४॥
नामा लाया दरबार । सात बम्मन दोसो चार । सारे दरबारमों पुकार । मारामार बम्मनकू ॥२५॥
अर्जी पोंचावे हुजूर । नामदेव लाया नजर । इसके बाबेक्या मजकूर । करी अर्जी अर्ज वेगें ॥२६॥
बादशहा कहे जलदी जाव । गाई कसाईकू बुलाव । नामदेवकू विठलाव । नियत पोंचावे गांगकू ॥२७॥
उसके आगे काटी गाय । बम्मन करे हाय हाय । नामा कहे प्रभुराय । ए बलाय तुम् सुनो ॥२८॥
बादशहा कहे लाव जान । नहीं तो करूं मुसलमान । झुटा करता है तुफान । फिर फिकिर कहेलावते ॥२९॥
किदर रह्या पंढरपूर । मेरा बसील हय् दूर । कोन कहेगा हुजूर । ये जरूर हकीकत ॥३०॥
ये तो पापी चंडाल । इन्ने बुरे किय अहाल । मेरे अब्रुका काल । तुम् गोपाल लाल जलदी आव ॥३१॥
नामा रोवे झुरझूर । बहे अश्वनकी पूर । बिठू पसिनेमे चूर । पंढरपूरमें हुवे है ॥३२॥
रुक्मीण चुरती पद्मपाव । घबर गये बिठूराव । रुक्मिण कहे प्रभुराव । क्या बलाय मुजे कहो ॥३३॥
देव करे आटोप्रांत । करे घबरे घबरे बात । चाम देवकी कहल । हकीकत बुरी हय ॥३४॥
रुक्मिंनी कहे जलदी जाव । मानदेवकूं मनाव । उस पापीकू जलाव । जाव जाव सितावी ॥३५॥
नामा लडका अजान । बहूत हुवा हयरान । अबी छोडेगा जान । मुसलमान बेकदर ॥३६॥
अकस्मात् हुयी बात । उठकर बैठे दिनानाथ । चलदीया उसी वख्त । मैं दिनानाथ आयांहू ॥३७॥
बिठू कहे नामदेव । उस गायकू हात लगाव । जान उसकी खुलाव । जलदी जाव गाय उठेगी ॥३८॥
उठकर खडी रहे गाय । हरहर बोले बम्मनराय । नामदेवकू लगाय । बिठूराय गलेसे ॥३९॥
नामा रोवे आलफला उसे समझावे माबाप । उसके हवेलींमें साप । हाका हाक पदी है ॥४०॥
हत्ती घोडेकू काट । लिया अदमीकी पाह । जिवर उधर न हाटा नाट । खट उपर खटारे ॥४१॥
बेदरशहा हुवा दग । काशी पंडत करे जंग । अबा कैसा हुवा रंग । बुरे ढंग क्या हुवे ॥४२॥
बादशहा कहे जलदी जाव । काशीपंडलकू बुलाव । मेरे नाजकू बचाव । सच्चा देव उनोका ॥४३॥
काशीपंडत प्यारे लाल । मेरे जानकू संबाल । पीर फकीर हक्लाल । बालोबाल गुन्हेगार हूं ॥४४॥
कासीपंडत धरो पाव । बहोत तर्हेसे मनाव । नामदेव मगतराव । ये बला दूर करो ॥४५॥
पंडत तुम बडा सुजान । तुम् जानो उसका ग्यान । हमने किया हय् तुफान । अब जान बचाव ॥४६॥
काशीपंडत बहु मला । कदमकदम जा मिला । नामदेव आन मिला । लागाया गला गलोसो ॥४७॥
बादशाहाके आडे । जिधर उधर खडे । उने हातपांव जोडे । पकडे पांव तुमारे ॥४८॥
मानो बिनंती महाराज । चलो पतीतनके काज । नामा कहे पंडतराज । मत् बाजो इस बातसो ॥४९॥
नामदेव बडे दयाल । हांसे किया जबाब सवाल । पंडत जा रहो खुशाल । फिर व्हांसे चल दिया ॥५०॥
मेहेरबान नामदेव । बिठूराय जान देव । उसका राज्य उसकू देव । बुला लेव साबकू ॥५१॥
इतनी बात बोलकर । चला उनका उष्कर । पंडत आये फिर कर । साप नजर न आवे ॥५२॥
उसकू करकर सनाथ । नामदेव दीनानाथ । ओ गाई लियी साथ । उस वख्त चल दिये ॥५३॥
बादशहा करे जीकीर । सच्चा हिंदु फकीर । ब्रम्हा ज्ञानोमे तार । रणधीर आये है ॥५४॥
गोंदा लडका अजान । करे रात दिन ध्यान । सरज होय मेहेरबान । दिया ग्यान बालककू ॥५५॥
२.
सेज सिद्ध झाली निजा धीधरा । आज्ञा द्यावी लोकां जाती आपुल्या घरा ॥१॥
रात्र बहुत जाहाली देवा चला मंदिरा । राईरखुमाबाई वाट पाहाती सुंदर ॥२॥
तुम्हासमोरा देवा झाली पंढरी । विनटला चरणीं गोंदा उभा राहिला द्वारीं ॥३॥
गजानन गौरी सूत । लाल अंगपर बभूत । तेरे मुख बचनामृत । उसे जमदूत भागत है ॥१॥
विद्यामरी दुंदुल पेट । उसपर सापकी लपेट । विघन करत है चपेट । पकड फे कालकी ॥२॥
नामा दर्जी जालम । विठू राजाका गुलाम । हुवा दुनियामें बदलाम । उने नाम दुबाया ॥३॥
नामा प्यारा है मनत । उसे जानत है जगत । बम्मन आया धुंडत धुंडत । लगत लगत यांबमो ॥४॥
बम्मन कहे नामदेव । मुजे पूजना भूदेव । इति बात मुजे देव । वहा देव गंगामो ॥५॥
मानो बिनंती महाराज । चलो पतीतनके काज । नामा कहे बम्मनराज । न बाजे इत बातनसो ॥६॥
नामा नहीं माने बात । बम्मन बैठा दिनरात । हुकुम दिया दिनानाथ । तंब संग चलदिया ॥७॥
चले मजल दरमजल । आया बेदरके मिसल ह्य हुई सो नक्कल. । वो सकल तुम् सुनो ॥८॥
कोस आदे कोसपर । नामदेव का लष्कर । बादशहा बैठा निकलकर । नजरकर देखते ॥९॥
कहे कासीपंडत । लाल झेंडे बहूत । पायदल जावे तहत । क्या सरयत खबर लाव ॥१०॥
करी कुरान सो सलाम । भेजो फौज ओतमाम । कोन क्या करेगा काम । तुम बेफाम मत रहो ॥११॥
आयी फौज किया कोट । जैसा खेतका सगोट । कहे कहांके तुम् भट । थाट वाध जाहो ॥१२॥
नामा कहे सुनो भाई । येतो बम्मन गदाई । नामदेव कोन है । बेदरशाही जानते ॥१३॥
उसे कहे नामदेव । राहा छोडो जाने देव । कहे हुकुम आने देव । फेर देव जाने कू ॥१४॥
अजीं लीखी फौजदार । ले पोंचे जिलिबदार । जाके देव दरबार चेपदार के कहिने ॥१५॥
कासीपंडतके पास । आव पोहोंची इतल्लास । नजर गुजराई ख्यास । करे ख्यास पूछ के ॥१६॥
पंडत कर जिकीर । सुनो हिंदू फकीर । हम् लोकन के पीर । पंढरपूर में रहते है ॥१७॥
बादशहा करे गल्लत । होते पीर आजमत । बुला लाव इसवख्त् । करामत देखणें ॥१८॥
पंडत करे तसलीमात । हजरत भली नहीं बात । नामदेव कहे मात । किसननाथ कन्हैया ॥१९॥
उसका नाम मत लेव । उसकी रहा मत् जाव । मेरा कहना सातर लाव । नहीं तो नांव डुबेगी ॥२०॥
उसे करो ये बदफैल । बुरी होयेगी नक्कल । अब् जावेमी अक्कल । सकल राज डुबेगा ॥२१॥
हत्ती घोडे दौलत । दख्खन मुलूख बाछायत । बेदर सरीखा तखल । इस वक्त जायेगा ॥२२॥
बादशहा करे गल्लत । सरक चल मादर वरूत । पंडत करे आयी मोत । गई कुवत अक्कलकी ॥२३॥
कुटल सामने सेटल । जा दूर हो निकल । भेजो दसबीस मोंगल । बम्मन सकल फकड लाव ॥२४॥
नामा लाया दरबार । सात बम्मन दोसो चार । सारे दरबारमों पुकार । मारामार बम्मनकू ॥२५॥
अर्जी पोंचावे हुजूर । नामदेव लाया नजर । इसके बाबेक्या मजकूर । करी अर्जी अर्ज वेगें ॥२६॥
बादशहा कहे जलदी जाव । गाई कसाईकू बुलाव । नामदेवकू विठलाव । नियत पोंचावे गांगकू ॥२७॥
उसके आगे काटी गाय । बम्मन करे हाय हाय । नामा कहे प्रभुराय । ए बलाय तुम् सुनो ॥२८॥
बादशहा कहे लाव जान । नहीं तो करूं मुसलमान । झुटा करता है तुफान । फिर फिकिर कहेलावते ॥२९॥
किदर रह्या पंढरपूर । मेरा बसील हय् दूर । कोन कहेगा हुजूर । ये जरूर हकीकत ॥३०॥
ये तो पापी चंडाल । इन्ने बुरे किय अहाल । मेरे अब्रुका काल । तुम् गोपाल लाल जलदी आव ॥३१॥
नामा रोवे झुरझूर । बहे अश्वनकी पूर । बिठू पसिनेमे चूर । पंढरपूरमें हुवे है ॥३२॥
रुक्मीण चुरती पद्मपाव । घबर गये बिठूराव । रुक्मिण कहे प्रभुराव । क्या बलाय मुजे कहो ॥३३॥
देव करे आटोप्रांत । करे घबरे घबरे बात । चाम देवकी कहल । हकीकत बुरी हय ॥३४॥
रुक्मिंनी कहे जलदी जाव । मानदेवकूं मनाव । उस पापीकू जलाव । जाव जाव सितावी ॥३५॥
नामा लडका अजान । बहूत हुवा हयरान । अबी छोडेगा जान । मुसलमान बेकदर ॥३६॥
अकस्मात् हुयी बात । उठकर बैठे दिनानाथ । चलदीया उसी वख्त । मैं दिनानाथ आयांहू ॥३७॥
बिठू कहे नामदेव । उस गायकू हात लगाव । जान उसकी खुलाव । जलदी जाव गाय उठेगी ॥३८॥
उठकर खडी रहे गाय । हरहर बोले बम्मनराय । नामदेवकू लगाय । बिठूराय गलेसे ॥३९॥
नामा रोवे आलफला उसे समझावे माबाप । उसके हवेलींमें साप । हाका हाक पदी है ॥४०॥
हत्ती घोडेकू काट । लिया अदमीकी पाह । जिवर उधर न हाटा नाट । खट उपर खटारे ॥४१॥
बेदरशहा हुवा दग । काशी पंडत करे जंग । अबा कैसा हुवा रंग । बुरे ढंग क्या हुवे ॥४२॥
बादशहा कहे जलदी जाव । काशीपंडलकू बुलाव । मेरे नाजकू बचाव । सच्चा देव उनोका ॥४३॥
काशीपंडत प्यारे लाल । मेरे जानकू संबाल । पीर फकीर हक्लाल । बालोबाल गुन्हेगार हूं ॥४४॥
कासीपंडत धरो पाव । बहोत तर्हेसे मनाव । नामदेव मगतराव । ये बला दूर करो ॥४५॥
पंडत तुम बडा सुजान । तुम् जानो उसका ग्यान । हमने किया हय् तुफान । अब जान बचाव ॥४६॥
काशीपंडत बहु मला । कदमकदम जा मिला । नामदेव आन मिला । लागाया गला गलोसो ॥४७॥
बादशाहाके आडे । जिधर उधर खडे । उने हातपांव जोडे । पकडे पांव तुमारे ॥४८॥
मानो बिनंती महाराज । चलो पतीतनके काज । नामा कहे पंडतराज । मत् बाजो इस बातसो ॥४९॥
नामदेव बडे दयाल । हांसे किया जबाब सवाल । पंडत जा रहो खुशाल । फिर व्हांसे चल दिया ॥५०॥
मेहेरबान नामदेव । बिठूराय जान देव । उसका राज्य उसकू देव । बुला लेव साबकू ॥५१॥
इतनी बात बोलकर । चला उनका उष्कर । पंडत आये फिर कर । साप नजर न आवे ॥५२॥
उसकू करकर सनाथ । नामदेव दीनानाथ । ओ गाई लियी साथ । उस वख्त चल दिये ॥५३॥
बादशहा करे जीकीर । सच्चा हिंदु फकीर । ब्रम्हा ज्ञानोमे तार । रणधीर आये है ॥५४॥
गोंदा लडका अजान । करे रात दिन ध्यान । सरज होय मेहेरबान । दिया ग्यान बालककू ॥५५॥
२.
सेज सिद्ध झाली निजा धीधरा । आज्ञा द्यावी लोकां जाती आपुल्या घरा ॥१॥
रात्र बहुत जाहाली देवा चला मंदिरा । राईरखुमाबाई वाट पाहाती सुंदर ॥२॥
तुम्हासमोरा देवा झाली पंढरी । विनटला चरणीं गोंदा उभा राहिला द्वारीं ॥३॥